जयपुर। डासना श्री महाकाली पीठ के महंत महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी के सान्निध्य में राजापार्क के श्रीराम मंदिर में सनातन धर्म की रक्षा, समाज में धर्मबल, सद्बुद्धि, शांति और सनातन परंपराओं के संवर्धन के लिए 17 से 25 दिसंबर तक नौ दिवसीय मां बगलामुखी महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ योगेश्वर श्रीकृष्ण की गीता के माध्यम से वर्तमान परिस्थितियों में सनातन धर्मावलंबियों को कर्तव्यों का बोध कराने के लिए दो दिवसीय गीता महाकुंभ भी आयोजित किया जाएगा। दोनों आयोजनों की तैयारियां प्रारंभ हो गई है।
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी के सान्निध्य में सांसद मंजू शर्मा, सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा, हवामहल विधायक बालमुकुंदाचार्य , राष्ट्रवादी गौ संत प्रकाश दास जी महाराज सहित अनेक साधु-संतों की उपस्थित में पोस्टर का विमोचन किया गया। संवाददाता सम्मेलन में महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने जनता से आह्वान किया कि वे महायज्ञ में आहुति देकर और गीता महाकुंभ में सहभागिता करें।
*एकता की रक्षा के लिए सजग रहने की आवश्यकता :*
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने कहा कि आज का समय आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों दृष्टियों से गंभीर चुनौतियों का समय है। सनातन समाज को अपनी परंपराओं, विचारों, धर्मबल और एकता की रक्षा के लिए सजग रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में समाजिक भ्रम, वैचारिक संघर्ष और अनेक प्रकार की गतिविधियां समाज को कमजोर करने का कारण बन रही हैं। ऐसे में अपने धर्म, अपने मूल्यों और अपनी संस्कृति को मजबूत बनाए रखने के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा, साधना, भक्ति, साहस और धर्माधारित विवेक की आवश्यकता है। इस कार्य के लिए मां बगलामुखी की उपासना का शास्त्रों में विधान बताया गया है। बगलामुखी महायज्ञ में भागीदारी से भक्तोंं को सदबुद्धि, शक्ति, पुरुषार्थ और विवेक प्राप्त होता है। यह साधना सनातन धर्म की रक्षा के लिए अमोघ मानी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज की स्थिरता और कल्याण के लिए हमें अपने आराध्य देवों की शरण में जाकर सामूहिक रूप से धर्मबल प्राप्त करना होगा।
*साहस के साथ देना होगा जवाब:*
सनातनी योद्धा पं. विजय कौशिक ने कहा कि जब तक सनातन सुरक्षित है, तब तक देश सुरक्षित है और सभी सनातनियों को यह याद रखना चाहिए कि इतिहास गवाह है कि भारत ने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी एकजुट होकर, धर्मबल और साहस के साथ चुनौतियों का सामना किया है। उन्होंने महाराणा प्रताप, रानी लक्ष्मीबाई, वीर शिवाजी महाराज और अनेक क्रांतिकारी वीरों का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे पूर्वजों ने अपनी मातृभूमि और धर्म की रक्षा के लिए बड़े-बड़े संघर्षों का सामना किया और आज भी आवश्यकता है कि सनातन समाज संगठित होकर अपने धर्म और संस्कृति के प्रति दृढ़ संकल्पित रहे। उन्होंने कहा कि समाज को एकजुट होकर किसी भी प्रकार की सनातन-विरोधी गतिविधि का शांतिपूर्ण और दृढ़ता से जवाब देना होगा तथा एक रहेंगे तो सेफ़ रहेंगे का संदेश व्यापक रूप से समाज में फैलाना होगा। चंद्र प्रकाश भाड़ेवाले, राजू बॉक्सर, पवन पारीक ,गोपाल शर्मा सहित अन्य वक्ताओं ने भी धर्म-सुरक्षा और सांस्कृतिक संरक्षण पर विचार व्यक्त किए।

